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प्रेमी के साथ सो रही थी पत्नी, तभी आ गया पति, आशिक के साथ मिलकर अपने सुहाग की हत्या।

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प्रेमी के साथ सो रही थी पत्नी, तभी आ गया पति, आशिक के साथ मिलकर अपने सुहाग की हत्या।

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The wife was sleeping with her lover, then the husband came, together with the lover, killed his lover.

एक महिला अपने प्रेमी के साथ रंगरेलिया मना रही थी। इसी दौरान उसका पति आ गया इसके बाद आशिक के साथ मिलाकर पत्नी ने अपने पति का गमछे से गला घोंटकर मौत के घाट उतार दिया। पुलिस ने इस मामले का खुलासा किया

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मामला रायबरेली जिले के बछरावां थाना क्षेत्रं के थुलेंडी गांव का है। हाल ही 35 वर्षीय युवक राकेश पासी की हत्या हो गई थी। उसकी पत्नी रेशमा का नान्हूं उर्फ महताब के साथ काफी समय से प्रेम प्रसंग चल रहा था। 30 मार्च को नान्हूं उर्फ महताब शराब लेकर राकेश पासी के घर पहुंचा. जहां सभी ने एक साथ बैठकर शराब पी और उसके बाद राकेश सोने चला गया।

इसी बीच राकेश ने पत्नी और नान्हूं को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया इस पर जब उसने विरोध किया तो पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर गमछे से युवक का गला घोंट दिया। इससे उसकी मौत हो गई वारदात का रूप बदलने के लिए मृतक की पत्नी रेशमा अपने पति का इलाज कराने के लिए बछरावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंची, जहां डॉक्टरों ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया।

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पोस्टमार्टम रिपोर्ट में युवक की मौत दम घुटने से होने की पुष्टि हुई तो पुलिस की जांच दूसरी दिशा में चलने लगी जब पत्नी से सख्ती के साथ पूछताछ की तो वारदात का खुलासा हो गया। पुलिस ने मृतक राकेश पासी की पत्नी रेशमा और उसके प्रेमी नान्हू को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।

UNM Children Hospital बहुत सस्ते में बच्चो का इलाज।

ज्वैलर्स की दुकान में नाले के रस्ते कुंबल करके की चोरी।

मेट्रो में बिकिनी वाली लड़की पर बवाल, इस मामले में क्या कहते हैं कानून, देखिए पूरी खबर…

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दिल्ली मेट्रो में मिनी स्कर्ट और ब्रा पहने एक लड़की का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. पब्लिक प्लेस पर ऐसे कपड़े पहनकर निकलने के बाद अश्लीलता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस छिड़ गई है. कुछ लोग इसे वीमेन एम्पावरमेंट से जोड़कर देख रहे हैं तो कुछ इसका विरोध कर रहे हैं. आइए सवाल-जवाब के जरिए समझते हैं कि कानून में ऐसे मामलों के लिए क्या व्यवस्था की गई है।

इस मामले में दिल्ली मेट्रो ने अपने सभी यात्रियों से प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए कहा है. साथ ही डीएमआरसी ने बयान में कहा कि यात्री ऐसा कोई काम न करें या ऐसा पहनावा पहनें जिससे दूसरे यात्रियों की संवेदनाएं आहत हों,

वरिष्ठ वकील विकास पहवा कहते हैं कि भारतीय कानून के तहत “अश्लीलता” की परिभाषा सब्जेक्टिव है. उनका कहना है, “हमारे देश में अश्लीलता की अवधारणा काफी हद तक लोगों पर निर्भर है. अश्लीलता लोगों की नैतिकता के मानक पर निर्भर करता है. वल्गैरिटी और ऑब्सेनिटी में अंतर है. हमने जो मेट्रो में देखा, वह अश्लील और अपमानजनक था. ऐसी कोई भी चीज जो लोगों के दिमाग को दूषित और भ्रष्ट करे, उसे अश्लील कहा जाएगा।

भारत में अश्लीलता कानून से जुड़े कई मामले पहले भी देखे जा चुके हैं. हाल ही में अभिनेता रणवीर सिंह के खिलाफ न्यूड फोटोशूट सोशल मीडिया पर शेयर करने पर एफआईआर दर्ज कर ली गई थी. इसी तरह मॉडल मिलिंद सोमन के खिलाफ न्यूड होकर समुद्र तट पर दौड़ते हुए खुद की तस्वीरें साझा करने पर केस दर्ज कर लिया गया था. मिलिंद के खिलाफ 1995 में अश्लीलता का मामला कोर्ट के सामने कोई सबूत पेश न होने पर 2009 में खत्म कर दिया गया था।

1971 के केए अब्बास केस में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- सेक्स और अश्लीलता हमेशा पर्यायवाची नहीं होते हैं. केवल सेक्स शब्द का उल्लेख अश्लील या अनैतिक रूप में करना गलत है. कोर्ट ने कहा कि अश्लीलता को आंकने का मानक सबसे कम सक्षम और सबसे भ्रष्ट व्यक्ति का नहीं होना चाहिए, बल्कि तर्कसंगत व्यक्ति का होना चाहिए.

इस तरह के मुद्दे को “अभद्रता” की परिभाषा के साथ संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से भी देखा जाना चाहिए, जो लोगों को अपनी पसंद बनाने की अनुमति देता है। 2014 के अवीक सरकार के फैसले में तय किए गए सामुदायिक मानकों के दिशानिर्देश के बाद अब सवाल यह है – क्या कपड़े अश्लील हैं पब्लिक प्लेस में ऐसे कपड़ने पहनना अविवेकपूर्ण है।

हाल ही में मॉडल उर्फी जावेद के खिलाफ छोटे कपड़े पहनकर सोशल मीडिया पर अश्लील पोस्ट करने पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी. रणवीर सिंह और मिलिंद सोमन की घटनाओं के परिणामस्वरूप भी एफआईआर दर्ज की गईं. दूसरी ओर एडवोकेट सौदामिनी शर्मा का मानना है कि कपड़ों का चुनाव एक सब्जेक्टिव मुद्दा है. उनका कहना है, “सार्वजनिक स्थान पर एक महिला क्या पहन सकती है या क्या नहीं, इस पर कोई सीधा कानून नहीं है. आईपीसी-1860 धारा 294 केवल अश्लीलता तक सीमित है, लेकिन बदलते सामाजिक मूल्यों के साथ, अश्लील क्या है? इसकी अवधारणा डायनेमिक और सब्जेक्टिव हो जाती है. अदालतें भी अलग-अलग मामलों के आधार पर तय करती हैं कि उस संदर्भ में अश्लीलता क्या है।

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Vijay Bharat

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