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#HariyaliTeejक्या है। और इसका क्या महत्त्व है। और सासू मां अपनी बहू को क्या क्या सुहाग की वस्तुएं शगुन के रूप में देती हैं।
What is Hariyali Teej? And what is its importance? And what the mother-in-law gives to her daughter-in-law as an omen.
हरियाली तीज सावन महीने का एक बहुत बड़ा त्योहार है। साथ ही सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ की ही तरह महत्वपूर्ण है। क्योंकि जिस तरह करवा चौथ पर सासू मां के लिए बायना पूजने का विधान है, इसी तरह हरियाली तीज पर सासू मां अपनी बहू को अखंड सुहाग का आशीर्वाद देते हुए सावन चढ़ाती हैं। यानी सुहाग की वस्तुएं शगुन के रूप में देती हैं।
यह व्रत निर्जला रखा जाता है। इसके प्रत्येक पहर में भगवान शंकर की पूजा एवं आरती की जाती है। इस दिन घी, दही, शक्कर, दूध, शहद का पंचामृत चढ़ाया जाता है। हरतालिका तीज के दिन सुहागिन महिलाओं को सिंदूर, मेहंदी, बिंदी, चूड़ी, काजल सहित सुहाग पिटारा दिया जाता है।
तीज की खरीदारी में सबसे पहले पूजा के सामान की लिस्ट बना लें। कुछ चीजें ऐसी हैं, जिन्हें आप पहले से खरीदकर रख सकती हैं। बाकि फूल, फल और मिठाई आप तीज से एक रात पहले या सुबह के समय मंगा सकती हैं।
रोली देसी घी लाल बिंदी, लाल चूड़ी (तीज माता के लिए)
तीज माता के लिए लाल चुनरी
धूप बत्ती
रुई या रुई की बत्ती (दीपक जलाने के लिए)
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मोली या कलावा है बेहद जरूरी
मोली कहिए या कलावा। इसके बिना हिंदू धर्म की कोई पूजा संपन्न नहीं होती है। पूजा के दौरान तीज माता को कलावा अर्पित करना होता है। और इसके बाद आप अपने हाथ में कलावा बांधे तथा परिवार के अन्य सदस्यों को भी कलावा बांधें। यह सकारात्मकता और आत्मबल बढ़ाने में मदद करता है। साथ ही आपको भावनात्मक मजबूती भी देता है। बाकि इसे बांधने के बाद हाथ तो सुंदर लगता ही है।
मेहंदी के कोन आपको अपने लिए तो लाने ही हैं, साथ ही एक कोन तीज माता को श्रृंगार के सामान के साथ अर्पित करने के लिए भी लाएं। ज्यादातर परिवारों में तीज पर तीज माता को श्रृंगार का पूरा सामान दिया जाता है। बाकि यह आपकी अपनी श्रद्धा पर है कि आप सिर्फ बिंदी-सिंदूर-चूड़ियां और मेहंदी मां को अर्पित करती हैं या फिर चुनरी और लिपस्टिक काजल जैसी अन्य चीजें भी।
आपके लिए नई साड़ी
आमतौर पर तीज पर नई यानी कोरी साड़ी पहनकर मां का पूजन किया जाता है। लेकिन आप अपने शादी की साड़ी या लहंगा पहनकर भी पूजा कर सकती हैं। साथ ही अपनी किसी अन्य पसंदीदा साड़ी को भी पहन सकती हैं। हालांकि इस दिन ज्यादातर महिलाएं सुर्ख लाल, मरून, पीली और हरी साड़ियां मुख्य रूप से पहनती हैं। क्योंकि ये रंग सुहाग और सौभाग्य के प्रतीक होते हैं।
तीज पर सासू मां के लिए बायना निकालने का भी रिवाज है। इसमें सासू मां के लिए कपड़े और सुहाग के सामान के साथ मिठाई और खाना भी पूजा जाता है। यदि आपकी सासू मां दूर रहती हैं तो आप खाने और मिठाई की जगह मेवे पूज सकती हैं।
लाल या हरी चूड़ियां
तीज पर प्लेन लाल चूड़ियां या प्लेन हरी चूड़ियां पहनने का ट्रेंड चल पड़ा है। हालांकि भारतीय सभ्यता में तो कांच की चूड़ियां पहनने का रिवाज ही नहीं रहा है। सभी महिलाएं सोने और चांदी के कंगन पहनती थीं। लेकिन अब बदलते समय के साथ और अंग्रेजों द्वारा देश को लूटने के बाद कांच की चूड़ियों का चलन बढ़ गया है।
झूले के लिए फूलों की लड़ियां
तीज पर झूला झूलने की परंपरा है। इस दिन महिलाएं सावन के गीत गाती हैं और साथ मिलकर झूला झूलती हैं।