बूढ़े पिता को देते थे लोहे की थाली में खाना, आप को सोचने पर मजबूर कर देगी।
Used to give food to old father in an iron plate, will make you think.
मनोज सिसोदिया नाम का व्यक्ति शहर में नौकरी करता था और अपनी पत्नी के साथ वही रहता था। एक दिन उसके पिता जी भी उसके पास पहुंच गए, और मनोज सिसोदिया और उसकी पत्नी को मालूम पड़ा के पिता जी अब यही रहेंगे तो उनको बहुत ही चिंता होने लगी। और उदास हो गए। उनके पास एक रूम और किचन के साथ बरामदा था। रात को सब लोग डिनर बारामदे में ही करते थे।
मनोज सिसोदिया के पिता जी ने कभी कुर्सी पर बैठ कर खाना नहीं खाया था। इसलिए जब भी वो उनके साथ डिनर करते तो बहुत ज्यादा खाना टेबल पर गिर जाता और कभी-कभी तो टेबल पर से प्लेट गिर कर टूट जाती थी। कुछ दिनों तक तो यह सब मनोज सिसोदिया और उसकी पत्नी ने बर्दास्त किया लेकिन एक दिन उसकी पत्नी बोली यह रोज–रोज नहीं चल पायेगा।
मनोज सिसोदिया और उसकी पत्नी ने अपने पिता जी के लिए लोहे की थाली बनवा दी और उनको अलग किचन में ही बैठाकर खिलाते थे और जब मन करता तो कुछ भी उल्टा बोल देते। लेकिन बूढ़ा बाप क्या करे चुप चाप सुनता रहता था।
समय बीतता चला गया और एक दिन मनोज सिसोदिया के बेटे ने पूछा आप लोग दादा जी को लोहे की थाली में खाना क्यों देते है। इस पर मनोज सिसोदिया ने कहा तुम्हारे दादा जी अब बूढ़े हो गए है। और हर रोज एक थाली तोड़ देते है। इसलिए उनको अलग से लोहे की थाली में खाना दिया जाता है।
इसके बाद मनोज सिसोदिया के बेटे ने जवाव दिया की जब आप दोनों लोग बूढ़े हो जाओगे तो मैं आप लोगो के लिए इससे भी अच्छी लोहे की थाली लाऊंगा। और उसमें खाना दूंगा यह बात सुनकर मनोज सिसोदिया और उसकी पत्नी को बहुत अफ़सोस हुआ। उसी दिन से उनलोग ने अपने पिता जी की लोहे की थाली को फेक दिया और सब लोग फिर से एक साथ में खाना खाने लगे।
इस कहानी से हम लोगो को यही सीख मिलती है की हम अपने बड़ो के साथ जैसा करेंगे, हमारे छोटे भी वैसा ही हमारे साथ करेंगे। जैसे तुम्हारे माता पिता ने तुम्हारा ध्यान रखते हुए तुम्हे पाला है। वैसे ही अपने बूढ़े माता पिता का ध्यान रखना चाहिए।
Respected to parents