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प्राचीनतम छड़ीयान का मेला फैली गंदगी व अव्यवस्था के बीच समापन हुआ।
The fair of the oldest stickyaan ended in the midst of widespread filth and disorder.
प्रसिद्ध एवं ऐतिहासिक बाबा जाहरवीर-गोगा वीर मेले छड़ीयान का
भारी अव्यवस्था के चलते हुआ समापन
मेरठ/परीक्षितगढ़। ऐतिहासिक नगरी परीक्षितगढ़ में सात दिवसीय प्राचीनतम मेला छड़ीयान बाबा जाहरवीर- गोगावीर का विगत दिवस फैली गंदगी व अव्यवस्था के बीच समापन हुआ।
बताया गया की यह मेला माढ़ी मन्दिर जाहरवीर-गोगा वीर पर हर वर्ष श्रावण मास में लगता है जो श्रावण मास की हरियाली तीज के उपरांत अष्टमी से प्रारंभ होकर चतुर्दशी या रक्षाबंधन तक रहता है।
इस मेले में प्रति वर्ष की भांति अबकी बार भी लाखों की संख्या में दर्शनार्थी व श्रद्धालुगण आए परंतु मेले में कूड़े के ढेर, जलभराव, सड़क में जगह-जगह गड्ढे व गंदगी आदि से उन्हें दो-चार होना पड़ा और इस कारण हुई अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ा।
स्थानीय व्यक्तियों ने बताया कि वैसे तो सप्लाई का पानी टोंटी में मेले से पहले लगभग दिन में पर्याप्त आता था लेकिन मेले के दौरान सुबह 5:00 बजे से 7:00 बजे तक व दोपहर में कुछ समय के ही लिए आया, इसके अलावा कभी हैंडपंप खराब तो कभी शिव चौक पर स्थित मिनरल वाटर मशीन खराब रही जिस कारण श्रद्धालुओं को अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ा।
इसके अलावा यह मेला बसेरे का मेला होने के उपरान्त भी मेले में रैन बसेरा ना होना तथा जेंट्स व लेडीज टॉयलेट के ना होने के कारण भी हजारों की संख्या में श्रद्धालुगण इधर उधर भटकते देखें गए और उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ी।
माढ़ी-मंदिर के महंत योगी नारायणदत्त उपाध्याय राजगुरु ने बताया कि यह मेला सांप्रदायिक सौहार्द एवं सद्भाव का प्रतीक है तथा प्राचीनतम व ऐतिहासिक है और यह हमें नाथ दर्शन से परिचय कराता है। परन्तु शासन प्रशासन की उपेक्षा व नगर पंचायत के ढुलमुल रवैये के कारण एवं योजना के अभाव में मेला दुर्दशा का शिकार हो रहा है।
मेले में आए दुकानदारों ने बताया कि हम लोग कई दशकों से मेले में आते हैं परंतु हमारे अन्य साथी लोग जो वर्षों पुराने हैं उन्हें तक यहां जगह उपलब्ध नहीं कराई गई।
जो स्थाई व पक्की दुकान वाले दुकानदार है वह अपने सामने हमारी अस्थाई दुकान जो मेले के लिए है नहीं लगने दे रहे हैं जिससे हम लोग दूरदराज से आने के बाद भी हमें निराशा हाथ लग रही है। जबकि माढ़ी-मंदिर के सामने से मवाना रोड हो लिंक करने वाले रास्ते पर आराम से मेले में बाहर से आई दुकानें लग सकती है परंतु वह रास्ता आधे ज्यादा कच्चा, गड्ढे युक्त और जलभराव व कीचड़ से अटा हुआ है।
मेले में पार्किंग की व्यवस्था व बैरिकेडिंग व्यवस्था ना होने के कारण मेले में अनेक शरारती तत्व बाइक भी दौड़ाते हुए दिखे जिससे बहुत से श्रद्धालुओं में भय की स्थिति उत्पन्न हो जाया करती थी।
लोगों ने बताया कि पहले मेले में रागनी प्रतिस्पर्धा, भजन संध्या व दंगल का आयोजन होता था यहां का दंगल एक प्रसिद्ध दंगल हुआ करता था जिसमें देश और विदेश के पहलवान आकर कुश्ती करते थे यहां पर प्रसिद्ध पहलवान दारा सिंह अपने गुरु पूरन सिंह के साथ आए थे और आकर कभी कुश्ती लड़ी थी। परीक्षितगढ़ के स्थानीय प्रसिद्ध पहलवान बूंदी पहलवान थे जो काफी प्रसिद्ध हुए उन्होंने कभी भी अपने कुश्ती के जीवन काल में कुश्ती में ना हारे और ना ही चित्त हुए।
लेकिन इस ऐतिहासिक मेले की उपेक्षा के चलते यह सब बीते दिनों की बात हो गई है।
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